"जाने भी दो अबू बक्र! ये ईद के दिन हैं।" मालूम रहे कि वे मिना के दिन थे।

"जाने भी दो अबू बक्र! ये ईद के दिन हैं।" मालूम रहे कि वे मिना के दिन थे।

आइशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) से रिवायत है कि मिना के दिनों में अबू बक्र (रज़ियल्लाहु अन्हु) उनके पास आए। उस समय उनके यहाँ दो लड़कियाँ डफ़ बजा रही थीं तथा नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपने शरीर को एक कपड़े से ढाँपकर लेटे हुए थे। अबू बक्र ने उन दोनों को डाँटा, तो आपने चेहरे से कपड़ा हटाया और फ़रमायाः "जाने भी दो अबू बक्र! ये ईद के दिन हैं।" मालूम रहे कि वे मिना के दिन थे। आइशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) (एक और घटना को याद करते हुए) कहती हैं : मैंने नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को देखा कि आप मुझे छुपाए हुए हैं और मैं ह़बशियों की ओर देख रही थी, जो मस्जिद में खेल रहे थे। उमर (रज़ियल्लाहु अंहु) ने उन्हें डाँटा, तो आपने कहा : "जाने भी दो! बनू अरफिदा! तुम निश्चिंत होकर खेलो।"

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

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बार-बार आने वाले अवसर, मस्जिदों के आदाब