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ऐ अब्दुल्लाह ! फलाँ आदमी की तरह न हो जाना कि वह रात को उठा करता था, फिर उसने रात में क़याम करना छोड़ दिया ।
ऐ अब्दुल्लाह ! फलाँ आदमी की तरह न हो जाना कि वह रात को उठा करता था, फिर उसने रात में क़याम करना छोड़ दिया ।
अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत है, उन्होंने कहा कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मुझ से फ़रमाया : “ऐ अब्दुल्लाह! फलाँ आदमी की तरह न हो जाना कि वह रात को (नमाज़ के लिए) उठा करता था, फिर उसने रात में क़याम करना छोड़ दिया ।”
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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रात की नमाज़