मैंने अपने मन में सोचा कि आज मैं अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का द्वारपाल बनने का सौभाग्य प्राप्त…

मैंने अपने मन में सोचा कि आज मैं अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का द्वारपाल बनने का सौभाग्य प्राप्त करूँगा। इतने में अबू बक्र (रज़ियल्लाहु अंहु) आए और दरवाज़ा खटखटाया। मैंने कहाः कौन हैं? तो फ़रमायाः अबू बक्र। मैंने कहाः तनिक रुकिए। फिर मैं आपके पास गया और कहाः ऐ अल्लाह के रसूल, अबू बक्र (रज़ियल्लाहु अंहु) अनुमति माँग रहे हैं। आपने फ़रमायाः "उन्हें अनुमति दो तथा जन्नत की शुभ सूचना भी दो।"

अबू मूसा अशअरी (रज़ियल्लाहु अंहु) से वर्णित है कि उन्होंने अपने घर में वज़ू किया और फिर यह कहते हुए निकले कि मैं आज दिन भर अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथ रहूँगा। चुनांचे मस्जिद आए और नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के बारे में पूछा, तो लोगों ने कहा कि आप उधर गए हैं। वह कहते हैंः मैं आपके बारे में पूछते हुए आपकी तलाश में निकल पड़ा, यहाँ तक कि आप अरीस नामी कुएँ के पास गए। मैं कुएँ वाले बाग़ के द्वार पर बैठ गया। जब अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपनी हाजत पूरी कर चुके और वज़ू कर लिया, तो मैं आपके पास आया। देखा कि आप अरीस कुएँ की मुंडेर के बीच मे बैठे हैं और अपनी पिंडलियों को खोलकर कुएँ में पाँव लटकाए हुए हैं। मैं आपको सलाम करके वापस आ गया और द्वार के पास बैठ गया। मैंने अपने मन में सोचा कि आज मैं अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का द्वारपाल बनने का सौभाग्य प्राप्त करूँगा। इतने में अबू बक्र (रज़ियल्लाहु अंहु) आए और दरवाज़ा खटखटाया। मैंने कहाः कौन हैं? तो फ़रमायाः अबू बक्र। मैंने कहाः तनिक रुकिए। फिर मैं आपके पास गया और कहाः ऐ अल्लाह के रसूल, अबू बक्र (रज़ियल्लाहु अंहु) अनुमति माँग रहे हैं। आपने फ़रमायाः "उन्हें अनुमति दो तथा जन्नत की शुभ सूचना भी दो।" मैं आया और अबू बक्र (रज़ियल्लाहु अंहु) से कहाः ऐ अबू बक्र, अंदर जाईए तथा अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने आपको जन्नत की शुभ सूचना दी है। चुनांचे अबू बक्र (रज़ियल्लाहु अंहु) अंदर गए और आपके साथ मुंडेर पर आपकी दाएँ ओर बैठ गए और अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ही की तरह दोनों पिंडलियों को खोलकर दोनों पाँव कुएँ में लटका दिए। फिर मैं वापस आकर बैठ गया। चूँकि मैं अपने भाई को वज़ू करते हुए छोड़ आया था और उसे भी मेरे पीछे आना था, इसलिए दिल में सोचा कि यदि अल्लाह अमुक (उनका आशय अपने भाई से था) के साथ भलाई चाहता है, तो उसे ले आएगा। इसी बीच किसी ने द्वार खटखटाया। मैंने कहाः कौन हैं? कहाः उमर बिन ख़त्ताब। मैंने कहाः ज़रा रुकिए। फिर मैं अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास गया, सलाम किया और कहाः उमर (रज़ियल्लाहु अंहु) अनुमति माँग रहे हैं। आपने फ़रमायाः अनुमति दो और जन्नत की शुभ सूचना सुना दो। मैंने उमर (रज़ियल्लाहु अंहु) के पास वापस आकर कहाः अनुमति दी है तथा अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) आपको जन्नत की शुभ सूचना दे रहे हैं। चुनांचे उमर (रज़ियल्लाहु अंहु) अंदर गए और अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथ मुंडेर पर आपकी बाएँ जानिब बैठ गए और दोनों पाँव कुएँ में लटका दिए। फिर मैं वापस आकर बैठ गया और सोचा कि यदि अल्लाह अमुक (उनका आशय़ अपने भाई से था) के साथ भलाई का इरादा करे, तो उसे ले आएगा। इतने में एक आदमी आए और द्वार हिलाया। मैंने कहाः कौन हैं? उत्तर मिलाः उसमान बिन अफ़्फ़ान। मैंने कहाः ज़रा रुकिए। फिर मैं नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास गया और बताया, तो फ़रमायाः अनुमति दो और उन्हें जन्नत की शुभ सूचना सुना दो, मगर एक आज़माइश के साथ, जिसका सामना उनको करना पड़ेगा। मैं आया और बोलाः अंदर जाईए और अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) आपको जन्नत की शुभ सूचना दे रहे हैं, एक आज़माइश के साथ, जिसका सामना आपको करना पड़ेगा। वह अंदर गए, तो देखा कि मुंडेर भर गई है। अतः, उनके सामने दूसरे किनारे पर बैठ गए। सईद बिन मुसय्यिब कहते हैं कि मैंने इसका अर्थ उनकी क़ब्रों से लिया। एक अन्य रिवायत में यह इज़ाफ़ा हैः अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने मुझे द्वार की सुरक्षा करने का आदेश दिया। तथा उसी रिवायत में हैः उसमान (रज़ियल्लाहु अंहु) को जब जन्नत की शुभ सूचना दी, तो अल्लाह (तआला) की प्रशंसा की और फिर फ़रमायाः अल्लाह ही सहायक है।

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।]

التصنيفات

सहाबा रज़ियल्लाहु अनहुम की फ़ज़ीलतें, सलाम करने तथा प्रवेश की अनुमति लेने के आदाब