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मैं इस मामले में कोई कोताही नहीं करूँगा कि तुम्हें वैसी ही नमाज़ पढ़ाऊँ, जैसी अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व…
मैं इस मामले में कोई कोताही नहीं करूँगा कि तुम्हें वैसी ही नमाज़ पढ़ाऊँ, जैसी अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- हमें नमाज़ पढ़ाया करते थे।
अनस- रज़ियल्लाहु अन्हु- से रिवायत है कि उन्होंने कहाः मैं इस मामले में कोई कोताही नहीं करूँगा कि तुम्हें वैसी ही नमाज़ पढ़ाऊँ, जैसी अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- हमें नमाज़ पढ़ाया करते थे। (इस हदीस के वर्णनकर्ता साबित कहते हैंः) चुनांचे अनस- रज़ियल्लाहु अन्हु- एक ऐसा कार्य करते थे, जो तुम करते हुए नज़र नहीं आते। जब रुकू से सिर उठाते, तो इतनी देर तक सीधे खड़े रहते कि कहने वाला कहताः आप भूल गए हैं। और जब सजदे से सिर उठाते, तो ईतनी देर ठहरते कि कहने वाला कहताः आप भूल गए हैं।
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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अनस बिन मालिक (रज़ियल्लाहु अंहु) कहा करते थे कि मैं पूरी कोशिश करूँगा कि तुम्हें उसी तरह नमाज़ पढ़ाऊँ, जैसे रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) हमें पढ़ाया करते थे। ताकि तुम उसका अनुसरण करते हुए उसी जैसी नमाज़ पढ़ सको। साबित बुनानी कहते हैंः अनस (रज़ियल्लाहु अंहु) नमाज़ को संपूर्ण एवं सुंदर बनाने के लिए एक ऐसा काम करते थे, जो मैं तुम्हें करते हुए नहीं देखता हूँ। वह रुकू के बाद देर तक खड़े रहते और सजदे के बाद देर तक बैठे रहते। जब रुकू से सिर उठाते, तो सीधे खड़े रहते, यहाँ तक कि देर तक खड़े रहना देखकर कहने वाला कहताः आप भूल गए हैं कि रुकू तथा सजदे के बीच क़याम की हालत में हैं। और जब सजदे से सिर उठाते, तो इतनी देर बैठे रहते कि लंबी बैठक को देखकर कहने वाला कहताः आप भूल गए हैं।