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हमें दुनिया की वह सारी वस्तुएँ प्रदान की गईं, जो तुम देख रहे हो। हमें तो कभी-कभी भय लगता है कि कहीं हमारे अच्छे…
हमें दुनिया की वह सारी वस्तुएँ प्रदान की गईं, जो तुम देख रहे हो। हमें तो कभी-कभी भय लगता है कि कहीं हमारे अच्छे कर्मों का बदला दुनिया ही में न दे दिया गया हो।
इबराहीम बिन अब्दुर्रहमान बिन औफ़ का वर्णन है कि अब्दुर्रहमान बिन औफ़ - रज़ियल्लाहु अन्हु- रोज़े से थे, जब उनके सामने (इफ़तार के समय) खाना परोसा गया, तो कहाः मुसअब बिन उमैर, जो कि मुझसे बेहतर थे, शहीद हुए, तो कफन के लिए एक चादर के सिवा कुछ न मिल सका। वह भी ऐसी कि सिर ढाँपा जाता तो दोनों पाँव खुल जाते और पाँव ढाँपे जाते तो सिर खुल जाता। फिर हमारे लिए दुनिया को फैला दिया गया, जो तुम देख रहे हो। या उन्होंने कहाः हमें दुनिया की वह सारी वस्तुएँ प्रदान की गईं, जो तुम देख रहे हो। हमें तो कभी-कभी भय लगता है कि कहीं हमारे अच्छे कर्मों का बदला दुनिया ही में न दे दिया गया हो। फिर रो पड़े और खाने को हाथ भी न लगाया।
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।]