अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के ज़माने में कुछ लोगों की पकड़ वह्य (प्रकाशना) द्वारा हो जाती थी। परन्तु,…

अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के ज़माने में कुछ लोगों की पकड़ वह्य (प्रकाशना) द्वारा हो जाती थी। परन्तु, अब वह्य का सिलसिला बंद हो चुका है। अब हम तुम्हारी पकड़ तुम्हारे उन कर्मों के आधार पर करेंगे, जो हमें नज़र आएँगे। अतः, जो हमें अच्छाई दिखाएगा, हम उसपर विश्वास करेंगे और अपने करीब करेंगे। उसके दिल में क्या है, हमें इससे कोई मतलब नहीं है। उसके दिल के अंदर छिपी बातों का हिसाब अल्लाह लेगा। तथा जो हमें बुराई दिखाएगा, हम उसपर विश्वास नहीं करेंगे और उसकी बातों की पुष्टि नहीं करेंगे।

अब्दुल्लाह बिन उतबा बिन मसऊद- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि मैंने उमर बिन ख़त्ताब- रज़ियल्लाहु अन्हुमा- को कहते हुए सुना, वे कह रहे थे कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के ज़माने में कुछ लोगों की पकड़ वह्य (प्रकाशना) से हो जाती थी। परन्तु, अब वह्य का सिलसिला बंद हो चुका है। अब हम तुम्हारी पकड़ तुम्हारे उन कर्मों के आधार पर करेंगे, जो हमें नज़र आएँगे। अतः, जो हमें अच्छाई दिखाएगा, हम उसपर विश्वास करेंगे और अपने करीब करेंगे। उसके दिल में क्या है, हमें इससे कोई मतलब नहीं है। उसके दिल के अंदर छिपी बातों का हिसाब अल्लाह लेगा। तथा जो हमें बुराई दिखाएगा, हम उसपर विश्वास नहीं करेंगे और उसकी बातों की पुष्टि नहीं करेंगे, चाहे वह कहता हो कि उसकी नीयत ठीक है।

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।]

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इमाम (शासनाध्यक्ष) के उत्तरदायित्व