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कभी-कभी इस हाल में फ़ज्र की नमाज़ का समय आ जाता कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपनी पत्नियों से संभोग…
कभी-कभी इस हाल में फ़ज्र की नमाज़ का समय आ जाता कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपनी पत्नियों से संभोग के कारण नापाकी की अवस्था में होते। इसके बाद स्नान करते और रोज़ा रखते।
आइशा और उम्मे सलमा- रज़ियल्लाहु अन्हुमा- का वर्णन है कि कभी-कभी इस हाल में फ़ज्र की नमाज़ का समय आ जाता कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपनी पत्नियों से संभोग के कारण नापाकी की अवस्था में होते। फिर इसके बाद स्नान करते और रोज़ा रखते।
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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आइशा और उम्म-ए-सलमा -अल्लाह उन दोनों से प्रसन्न हो- बताती हैं कि कभी-कभी ऐसा होता कि अल्लाह के -रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- रात को हमबिस्तरी (संभोग) करते और स्नान किए बिना जनाबत की अवस्था ही में फ़ज़्र हो जाती। लेकिन इसके बावजूद आप रोज़ा पूरा करते और उसकी क़ज़ा नहीं करते थे। दरअसल यह बात दोनों ने उस समय कही थी, जब मरवान बिन हकम ने उनके पास आदमी भेजकर इस संबंध में पूछा था। यह हुक्म रमज़ान तथा गैर-रमज़ान दोनों के लिए है।التصنيفات
रोज़ेदार के लिए जायज़ कार्य