इसने अल्लाह से उसके ऐसे नाम के द्वारा माँगा है कि जिसके द्वारा जब माँगा जाए तो अल्लाह देता है, और जब पुकारा जाए तो…

इसने अल्लाह से उसके ऐसे नाम के द्वारा माँगा है कि जिसके द्वारा जब माँगा जाए तो अल्लाह देता है, और जब पुकारा जाए तो अल्लाह क़बूल करता है।

बुरैदा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने एक व्यक्ति को यह दुआ करते हुए सुनाः "ऐ अल्लाह, मैं तुझसे अपनी इस गवाही के वसीले से माँगता हूँ कि तू ही अल्लाह है, तेरे सिवा कोई पूज्य नहीं, तू अकेला और बेनियाज़ है, जिसकी न कोई संतान है और न वह किसी की संतान है, और न कोई उसका समकक्ष है।" तो आपने फरमायाः “इसने अल्लाह से उसके ऐसे नाम के द्वारा माँगा है कि जिसके द्वारा जब माँगा जाए तो अल्लाह देता है, और जब पुकारा जाए तो अल्लाह क़बूल करता है।”

[सह़ीह़] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है । - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे नसाई ने रिवायत किया है। - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है।]

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दुआ ग्रहण होने में सहायक चीज़ें तथा उसे ग्रहण न होने देने वाली वस्तुएँ