तुममें से कोई हरगिज़ मृत्यु की तमन्ना न करे। यदि वह नेक है, तो संभव है कि वह और नेकियाँ करे। और यदि गुनहगार है, तो…

तुममें से कोई हरगिज़ मृत्यु की तमन्ना न करे। यदि वह नेक है, तो संभव है कि वह और नेकियाँ करे। और यदि गुनहगार है, तो संभव है कि तौबा कर ले।

अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः “तुममें से कोई हरगिज़ मृत्यु की तमन्ना न करे। यदि वह नेक है, तो संभव है कि वह और नेकियाँ करे। और यदि गुनहगार है, तो संभव है कि तौबा कर ले।” एक रिवायत में इस प्रकार है कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "तुममें से कोई हरगिज़ मृत्यु की तमन्ना न करे और न उसके आने से पहले उसकी दुआ करे। जब वह मर जाएगा, तो उसके कर्मों का सिलसिला रुक जाएगा। तथा एक मोमिन की आयु उसकी भलाइयों ही में इज़ाफ़ा करती है।

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

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शाब्दिक प्रतिबंध तथा ज़बान की विनाशकारियाँ