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जब हम छोटे थे तो लोग गवाही और वचन देने पर हमारी पिटाई करते थे।
जब हम छोटे थे तो लोग गवाही और वचन देने पर हमारी पिटाई करते थे।
इबराहीम नख़ई कहते हैं कि जब हम छोटे थे तो लोग गवाही और वचन देने पर हमारी पिटाई करते थे।
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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इस ताबई के कथन से यह प्रमाण मिलता है कि कुछ 'सलफ़' अपने बच्चों कों बार-बार वचन देने से मना करते थे, ताकि कहीं ऐसा न हो कि वचन तोड़ने के कारण गुनाह का हक़दार बनना पड़े। यही हाल गवाही देने का है, ताकि वे गवाही देने को आसान न समझ लें।التصنيفات
बच्चों का पालन-पोषण