हरदम अल्लाह का भय रखो और हर ऊँचाई पर चढ़ते समय 'अल्लाहु अकबर' कह लिया करो।

हरदम अल्लाह का भय रखो और हर ऊँचाई पर चढ़ते समय 'अल्लाहु अकबर' कह लिया करो।

अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अनहु) का वर्णन है कि एक व्यक्ति ने कहाः ऐ अल्लाह के रसूल! मैं यात्रा में निकलना चाहता हूँ, अतः आप मुझे वसीयत करें। आपने कहाः अल्लाह का भय हरदम रखो और हर ऊँचाई पर चढ़ते समय 'अल्लाहु अकबर' कह लिया करो।जब वह व्यक्ति जाने लगा तो आपने फ़रमायाः "ऐ अल्लाह! उसके लिए दूरी को समेट दे और उसकी यात्रा को आसान कर दे।

[ह़सन] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है । - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]

التصنيفات

यात्रा के आदाब तथा अहकाम, मासूर दुआएँ