यह दया है, जिसे अल्लाह -तआला- ने अपने बंदों के दिलों में रखा है और अल्लाह अपने उन बंदों पर दया करता है, जो दूसरों पर दया…

यह दया है, जिसे अल्लाह -तआला- ने अपने बंदों के दिलों में रखा है और अल्लाह अपने उन बंदों पर दया करता है, जो दूसरों पर दया करते हैं।

उसामा बिन ज़ैद -रज़ियल्लाहु अन्हुमा- फ़रमाते हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के सम्मुख आपके नवासे को लाया गया, जो मौत की दशा में थे, तो अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की आँखें बह पड़ीं। यह देख साद (रज़्यल्लाहु अन्हु) ने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल, यह क्या है?! तो आपने उत्तर दिया : "यह दया है, जिसे अल्लाह -तआला- ने अपने बंदों के दिलों में रखा है और अल्लाह अपने उन बंदों पर दया करता है, जो दूसरों पर दया करते हैं।"

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

التصنيفات

सरहनायोग्य आचरण