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तुम वापस जाओ, मैं किसी मुश्रिक की मदद हरिगज़ नहीं लूँगा।
तुम वापस जाओ, मैं किसी मुश्रिक की मदद हरिगज़ नहीं लूँगा।
अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की पत्नी आइशा (रज़ियल्लाहु अंहा) कहती हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) बद्र की ओर निकले। जब 'हर्रा अल-वबरा' में पहुँचे, तो एक व्यक्ति आपसे मिला, जिसकी जुर्रत और बहादुरी के ख़ूब चर्चे थे। उसे देख अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथी बड़े प्रसन्न हुए। जब वह अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास आया, तो आपसे कहाः मैं आपके साथ चलने और आपके साथ ग़नीमत का धन प्राप्त करने के लिए आया हूँ। अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने उससे पूछाः "क्या तुम अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान रखते हो?" उसने उत्तर दिया कि नहीं! तो आपने फ़रमायाः "तुम वापस हो जाओ। मैं किसी मुश्रिक की मदद हरगिज़ नहीं लूँगा।" आइशा (रज़ियल्लाहु अंहा) कहती हैं कि फिर आप चल पड़े, यहाँ तक कि जब हम 'अल-शजरा' के स्थान पर पहुँचे, तो वह आदमी फिर आपसे मिला और वही बात कही, जो पहली बार कही थी। आपने भी उसे वही उत्तर दिया, जो पहली बार दिया था। आपने कहाः "तुम वापस जाओ, मैं किसी मुश्रिक की मदद हरिगज़ नहीं लूँगा।" वर्णनकर्ता का कहना है कि फिर वह 'अल-बैदा' नामी स्थान में आपसे मिला, तो आपने वही सवाल जो पहली बार किया था, फिर दोहराया। पूछाः "क्या तुम अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान रखते हो?" उसने कहाः हाँ! तब अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "तो फिर चलो।"