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जिसको सर्वशक्तिमान एवं महान अल्लाह ने मुसलमानों के मामलों का ज़िम्मेवार बनाया तथा वह उनकी आवयश्यकता, ज़रूरत एवं…
जिसको सर्वशक्तिमान एवं महान अल्लाह ने मुसलमानों के मामलों का ज़िम्मेवार बनाया तथा वह उनकी आवयश्यकता, ज़रूरत एवं निर्धनता के समय छुपा रहा, तो अल्लाह भी क़यामत के दिन उसकी आवयश्यकता, ज़रूरत और मोहताजी के समय सामने नहीं आएगा।
अबू मरयम अज़्दी से रिवायत है, वह कहते हैं कि मैं मुआविया (रज़ियल्लाहु अन्हु) के पास पहुँचा तो उन्होंने कहा : ऐ अमुक के पिता! आपका आना क्या ही आनंदयक है! -यह ऐसा वाक्य है जिसका प्रयोग अरब करते हैं- तो मैंने कहा कि मैंने एक हदीस सुन रखी है, उसे मैं आपको सुनाना चाहता हूँ। मैंने अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- को फ़रमाते हुए सुना है : “जिसको सर्वशक्तिमान एवं महान अल्लाह ने मुसलमानों के मामलों का ज़िम्मेवार बनाया तथा वह उनकी आवयश्यकता, ज़रूरत एवं निर्धनता के समय छुपा रहा, तो अल्लाह भी क़यामत के दिन उसकी आवयश्यकता, ज़रूरत और मोहताजी के समय सामने नहीं आएगा।” वह कहते हैं कि इसके बाद मुआविया -रज़ियल्लाहु अन्हु- ने लोगों की ज़रूरतें सुनने के लिए एक व्यक्ति को नियुक्त कर दिया।
[सह़ीह़] [इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]
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इमाम (शासनाध्यक्ष) के उत्तरदायित्व