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जो व्यक्ति कोई बोझ (कर्ज़ अथवा औलाद इत्यादि) छोड़ जाए, तो वह अल्लाह तथा उसके रसूल के ज़िम्मे है। जबकि जो व्यक्ति कोई…
जो व्यक्ति कोई बोझ (कर्ज़ अथवा औलाद इत्यादि) छोड़ जाए, तो वह अल्लाह तथा उसके रसूल के ज़िम्मे है। जबकि जो व्यक्ति कोई माल छोड़ जाए, तो वह उसके वारिसों के लिए है। जिसका कोई वारिस न हो, मैं उसका वारिस हूँ। मैं उसकी ओर से दियत अदा करूँगा तथा उसका वारिस बनूँगा। मामूँ उसका वारिस है, जिसका कोई वारिस न हो। वह उसकी ओर से दियत अदा करेगा तथा उसका वारिस बनेगा।
मिक़दाम -रज़ियल्लाहु अन्हु- से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : “जो व्यक्ति कोई बोझ (कर्ज़ अथवा औलाद इत्यादि) छोड़ जाए, तो वह मेरे ज़िम्मे है।” और कभी फ़रमाया : “वह अल्लाह तथा उसके रसूल के ज़िम्मे है। जबकि जो व्यक्ति कोई माल छोड़ जाए, तो वह उसके वारिसों के लिए है। जिसका कोई वारिस न हो, मैं उसका वारिस हूँ। मैं उसकी ओर से दियत अदा करूँगा तथा उसका वारिस बनूँगा। मामूँ उसका वारिस है, जिसका कोई वारिस न हो। वह उसकी ओर से दियत अदा करेगा तथा उसका वारिस बनेगा।”
[ह़सन] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है । - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]