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यदि मेरी उम्मत पर कठिन न होता, तो मैं उन्हें आदेश देता कि प्रत्येक वज़ू के समय मिसवाक कर लिया करें।
यदि मेरी उम्मत पर कठिन न होता, तो मैं उन्हें आदेश देता कि प्रत्येक वज़ू के समय मिसवाक कर लिया करें।
अबू हुरैरा -रज़ियल्लाहु अन्हु- से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : “यदि मेरी उम्मत पर कठिन न होता, तो मैं उन्हें आदेश देता कि प्रत्येक वज़ू के समय मिसवाक कर लिया करें।”
[सह़ीह़] [इसे नसाई ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है। - इसे मालिक ने रिवायत किया है।]
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इस हदीस में अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने बताया है कि यदि आपको इस बात का भय न होता कि आपकी उम्मत एवं अनुसरणकार्यों को कष्ट एवं परेशानी का सामना पड़ेगा, तो उन्हें हर वज़ू के समय आवश्यक रूप से मिस्वाक करने का आदेश देते। आपने अपनी उम्मत पर दया करते हुए उनपर इसे फ़र्ज़ क़रार नहीं दिया, बल्कि सुन्नत रखा, जिसका पालन करने वाले को पुण्य मिलता है और छोड़ने वाले को दंड नहीं दी जाती है।التصنيفات
वज़ू की सुन्नतें तथा आदाब