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बर्तनों को ढाँप दो, मशक़ीज़ों के मुख बांध दो और दरवाज़े बंद कर दो तथा चिराग़ बुझा दो, क्योंकि शैतान मशकीज़ों के बंधन…
बर्तनों को ढाँप दो, मशक़ीज़ों के मुख बांध दो और दरवाज़े बंद कर दो तथा चिराग़ बुझा दो, क्योंकि शैतान मशकीज़ों के बंधन खोल नहीं सकता और न ही दरवाज़े खोल सकता है और न बर्तन का ढक्कन हटा सकता है
जाबिर (रज़ियल्लाहु अनहु) से मरफ़ूअन वर्णित है: बर्तनों को ढाँप दो, मशकीज़ों के मुख बांध दो, दरवाज़े बंद कर दो तथा चिराग़ बुझा दो, क्योंकि शैतान मशकीज़ों के बंधन खोल नहीं सकता और न ही दरवाज़े खोल सकता है और न बर्तन का ढक्कन हटा सकता है। यदि कोई कुछ भी न पाए, तो बर्तन पर एक लकड़ी ही रख दे और अल्लाह का नाम ले ले। (चिराग़ बुझा दिया करे) क्योंकि चूहा घर वालों के घर को जला सकता है।
[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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