मुर्ग़े को गाली मत दो, क्योंकि वह नमाज़ के लिए जगाता है

मुर्ग़े को गाली मत दो, क्योंकि वह नमाज़ के लिए जगाता है

ज़ैद बिन ख़ालिद जुहनी (रज़ियल्लाहु अनहु) से मरफ़ूअन वर्णित है: मुर्ग़े को गाली मत दो, क्योंकि वह नमाज़ के लिए जगाता है।

[सह़ीह़] [इसे नसाई ने रिवायत किया है।]

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बात करने तथा चुप रहने के आदाब