क्या मैं उस व्यक्ति से लज्जा न करूँ, जिससे फ़रिश्ते लज्जा करते हैं?

क्या मैं उस व्यक्ति से लज्जा न करूँ, जिससे फ़रिश्ते लज्जा करते हैं?

आइशा (रज़ियल्लाहु अनहा) कहती हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) मेरे घर में लेटे हुए थे और आपकी दोनों रानें या पिंडलियाँ खुली हुई थीं। इसी बीच अबू बक्र (रज़ियल्लाहु अनहु) ने अंदर आने की अनुमति माँगी, तो उनको उसी हाल में आने की अनुमति दे दी और उनसे बात की। फिर उमर (रज़ियल्लाहु अनहु) ने अंदर आने की अनुमति माँगी, तो उनको भी उसी हाल में आने की अनुमति दे दी और उनसे बात की। फिर उस्मान (रज़ियल्लाहु अनहु) ने अंदर आने की अनुमति माँगी, तो आप उठकर बैठ गए और कपड़े ठीक कर लिए। (मुहम्मद कहते हैं : मैं यह नहीं कहता कि ऐसा एक ही दिन हुआ।) तो वह अंदर आए और बात की। जब वह चल दिए, तो आइशा (रज़ियल्लाहु अनहा) ने कहा: अबू बक्र (रज़ियल्लाहु अनहु) आए, लेकिन उनके आने से न आप प्रसन्न हुए और न कुछ ध्यान दिया, फिर उमर (रज़ियल्लाहु अनहु) आए, लेकिन उनके आने से भी न आप प्रसन्न हुए और न कुछ ध्यान दिया, फिर उसमान (रज़ियल्लाहु अनहु) आए, तो आप उठकर बैठ गए और अपने कपड़े ठीक कर लिए? तो आपने फ़रमाया: क्या मैं उस व्यक्ति से लज्जा न करूँ, जिससे फ़रिश्ते लाज करते हैं?।

[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

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सहाबा रज़ियल्लाहु अनहुम की फ़ज़ीलत, सहाबा रज़ियल्लाहु अनहुम की फ़ज़ीलतें