जो ख़ुश्बू तुम्हारे बदन में लगी हुई है, उसे तीन बार धो डालो और शरीर से कुर्ता उतार दो तथा उमरा में भी वही करो, जो हज…

जो ख़ुश्बू तुम्हारे बदन में लगी हुई है, उसे तीन बार धो डालो और शरीर से कुर्ता उतार दो तथा उमरा में भी वही करो, जो हज में करते हो।

सफ़वान बन याला से रिवायत है कि याला (रज़ियल्लाहु अंहु) ने उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) से कहा : जिस समय नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर वह्य उतर रही हो, तो आप मुझे दिखाएँ। वर्णनकर्ता का बयान है कि एक रोज़ नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जिइर्राना में थे और सहाबा (रज़ियल्लाहु अन्हुम) का एक गिरोह भी वहाँ मौजूद था कि एक आदमी ने आपके पास आकर पूछा : ऐ अल्लाह के रसूल! आप उस आदमी के बारे में क्या हुक्म देते हैं, जिसने उमरा का एहराम तो बाँधा, लेकिन वह ख़ुश्बू लगाए हुए है? इसपर नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) कुछ देर चुप रहे। फिर आपपर वह्य आई, तो उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) ने याला (रज़ियल्लाहु अंहु) की ओर इशारा किया। जब वह आए, तो उस वक़्त रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के सिर के ऊपर एक कपड़ा था, जिससे आपपर साया किया गया था। उन्होंने अपना सिर उस कपड़े के अंदर किया, तो देखा कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के चेहरे का रंग लाल है और आपकी साँस ज़ोर-ज़ोर से चल रही है। धीरे-धीरे जब यह हालत ख़त्म हुई, तो फरमाया : “वह आदमी कहाँ है, जिसने उमरा के बारे में पूछा था?” उस आदमी को सामने लाया गया, तो फ़रमाया : “जो ख़ुश्बू तुम्हारे बदन में लगी हुई है, उसे तीन बार धो डालो और शरीर से कुर्ता उतार दो तथा उमरा में भी वही करो, जो हज में करते हो।“ मैंने अता से पूछाः जब आपने तीन बार धोने का आदेश दिया, तो क्या इससे आपका उद्देश्य साफ़-सफ़ाई था? उन्होंने उत्तर दिया : हाँ।

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

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एहराम की अवस्था में वर्जित कार्य