إعدادات العرض
मस्जिद में थूकना पाप है और उसका कफ़्फ़ारा यह है कि उसे दफ़न कर दिया जाए।
मस्जिद में थूकना पाप है और उसका कफ़्फ़ारा यह है कि उसे दफ़न कर दिया जाए।
अनस बिन मालिक (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "मस्जिद में थूकना पाप है और उसका कफ़्फ़ारा यह है कि उसे दफ़न कर दिया जाए।"
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।]
الترجمة
العربية বাংলা Bosanski English Español فارسی Français Bahasa Indonesia Русский Tagalog Türkçe اردو 中文 Hausa Kurdî Portuguêsالشرح
मस्जिद की ज़मीन या दीवारों में थूकना गुनाह है। ऐसा करने वाला अल्लाह के यहाँ दंड का हक़दार है। अतः किसी मुसलमान के लिए किसी भी अवस्था में मस्जिद में थूकना जायज़ नहीं है। क्योंकि यह अल्लाह के घरों का अपमान और उनको नापाक करना है। जबकि उन्हें हर तरह की नापाकी और मलिनता से सुरक्षित रखना ज़रूरी है। क्योंकि यह अल्लाह के प्रतीकों के सम्मान के दायरे में आता है। उच्च एवं महान अल्लाह का फ़रमान है : "और जो अल्लाह के निर्धारित किए प्रतिबंधों का आदर करे, तो यह उसके लिए उसके पालनहार के पास अच्छा है।" [सूरा अल-हज्ज : 30] लेकिन यदि कोई अपने कपड़े या रूमाल आदि में थूके, तो कोई हर्ज नहीं है। क्योंकि इसमें अल्लाह के घर को गंदा करने जैसी कोई बात नहीं है। लेकिन यदि कोई गलती से मस्जिद में थूक दे, तो यह गुनाह तो है, लेकिन उसका गुनाह माफ़ हो जाएगा। यहाँ एक बात याद रहे कि इस हदीस का अर्थ यह नहीं है कि कोई जान-बूझकर मस्जिद में थूके और उसके बाद उसे दफ़न कर दे। क्योंकि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने मस्जिद में थूकने ही को गुनाह कहा है। इसकी पुष्टि सहीह बुखारी (हदीस संख्या : 414) तथा सहीह मुस्लिम (हदीस संख्या :548) की इस हदीस से होती है : "अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने मस्जिद की दीवार में बलग़म लगा हुआ देखा, तो आपको बुरा लगा। अतः उठे और उसे अपने हाथ से साफ़ कर दिया।" जो व्यक्ति बिना इरादे के मस्जिद में थूक दे और फिर चाहे कि उसका यह गुनाह माफ़ हो जाए, तो अविलंब उसे साफ़ कर दे। उसकी सूरत यह है कि यदि मस्जिद की ज़मीन कंकड़ की है तो उसे दफ़न कर दे और अगर फ़र्श बनी हुई है तो उसे खुरच कर साफ़ कर दे। लेकिन यदि ऐसा करने के बजाय उसे छोड़ देता है, तो वह जब तक बाक़ी रेहगी, उसका गुनाह उसे होता रहेगा। अबू ज़र -रज़ियल्लाहु अनहु- से वर्णित है कि अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : "मेरे सामने मेरी उम्मत के कर्म लाए गए। अच्छे भी और बुरे भी। मैंने उसके अच्छे कर्मों में जो बातें पाईं, उनमें उसके द्वारा रास्ते से हटाई गई कष्टदायक वस्तु भी शामिल थी, जबकि उसके बुरे कर्मों में जो बातें पाईं, उनमें वह बलगम भी शामिल था, जो मस्जिद में हो और उसे दफ़न न किया गया हो।" इसे इमाम मुस्लिम ने रिवायत किया है।التصنيفات
मस्जिदों के आदाब