वित्र हक़ है।अब, जो चाहे सात रकात के साथ वित्र बनाये, जो चाहे पाँच रकात रकात के साथ वित्र बनाये, जो चाहे तीन रकात के…

वित्र हक़ है।अब, जो चाहे सात रकात के साथ वित्र बनाये, जो चाहे पाँच रकात रकात के साथ वित्र बनाये, जो चाहे तीन रकात के साथ वित्र बनाये और जो चाहे एक रकात के साथ वित्र बनाये।

अबू अय्यूब अनसारी -रज़ियल्लाहु अनहु- का वर्णन है कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमायाः "वित्र हक़ है। अब, जो चाहे सात रकात के साथ वित्र बनाये, जो चाहे पाँच रकात रकात के साथ वित्र बनाये, जो चाहे तीन रकात के साथ वित्र बनाये और जो चाहे एक रकात के साथ वित्र बनाये।"

[सह़ीह़] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है । - इसे नसाई ने रिवायत किया है। - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है।]

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रात की नमाज़