अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- चाश्त की नमाज़ चार रकअत पढ़ा करते थे, और जितना अल्लाह चाहता उतना उसमें…

अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- चाश्त की नमाज़ चार रकअत पढ़ा करते थे, और जितना अल्लाह चाहता उतना उसमें ज्यादा करते।

आइशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) का वर्णन है, वह कहती हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) चाश्त की नमाज़ चार रकअत पढ़ा करते थे, और जितना अल्लाह चाहता उतना उसमें ज्यादा करते।

[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

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चाश्त की नमाज़