إعدادات العرض
एक देहाती आया और मस्जिद के एक किनारे में पेशाब करने लगा
एक देहाती आया और मस्जिद के एक किनारे में पेशाब करने लगा
अनस बिन मालिक (रज़ियल्लाहु अंहु) कहते हैंः एक देहाती आया और मस्जिद के एक किनारे में पेशाब करने लगा। यह देख, लोग उसे डाँटने लगे, तो नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने लोगों को इससे रोका। फिर जब वह पेशाब कर चुका, तो नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने एक बालटी पानी लाने का आदेश दिया और उसे पेशाब के ऊपर बहा दिया गया।
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
الترجمة
العربية বাংলা Bosanski English Español فارسی Français Bahasa Indonesia Tagalog Türkçe اردو 中文 Tiếng Việt සිංහල ئۇيغۇرچە Hausa Português Kurdî Русскийالشرح
देहात के लोग चूँकि अल्लाह की ओर से मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर उतरने वाली शरीयत को सीख नहीं सके थे, इसलिए उनके अंदर अज्ञानता और उद्दंडता जैसी चीज़ें मौजूद थीं। एक दिन नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपने साथियों के साथ मस्जिदे नबवी में बैठे थे कि एक देहाती आया और उसे एक साधारण स्थान समझकर उसके एक किनारे में पेशाब करने लगा। सहाबा के दिल में चूँकि मस्जिद का बड़ा सम्मान था, इसलिए उसका यह काम उनपर भारी पड़ा। अतः, उन्होंने उसे पेशाब करते देख डाँटना शुरू कर दिया। लेकिन, नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने, जो आदर्श व्यवहार के स्वरूप थे और खुशखबरी देने वाले तथा आसानी पैदा करने वाले के रूप में आए थे, उन्हें डाँटने से मना किया। क्योंकि आप अरबों का स्वभाव जानते थे। साथ ही डाँटने से उसका शरीर अथवा कपड़ा गंदा हो सकता था और अचानक पेशाब रुकने के कारण उसे नुकसान भी पहुँच सकता था। यह भी उद्देश्य सामने था कि डाँटने के बजाय बाद में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जब उसे समझाएं तो वह आप की बात क़बूल करे। आपने आदेश दिया कि उसके पेशाब के स्थान को एक बालटी पानी बहाकर साफ कर लिया जाए।