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मैंने देखा कि आप क़िबले के अतिरिक्त किसी और दिशा की ओर मुँह करके नमाज़ पढ़ रहे हैं? तो उन्होंने जवाब दियाः यदि मैंने…
मैंने देखा कि आप क़िबले के अतिरिक्त किसी और दिशा की ओर मुँह करके नमाज़ पढ़ रहे हैं? तो उन्होंने जवाब दियाः यदि मैंने रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को ऐसा करते न देखा होता, तो ऐसा न करता।
अनस बिन सीरीन कहते हैं कि अनस (रज़ियल्लाहु अंहु) की शाम प्रांत से वापसी के अवसर पर हमने उनका स्वागत किया। हम उनसे ऐन-अत-तमर नामी स्थान में मिले। मैंने उनको देखा कि गधे पर सवार होकर नमाज़ पढ़ रहे हैं और उनका चेहरा इस ओर (अर्थात क़िब्ले के दाहिनी ओर) है। मैंने उनसे कहाः मैंने देखा कि आप क़िबले के अतिरिक्त किसी और दिशा की ओर मुँह करके नमाज़ पढ़ रहे हैं? तो उन्होंने जवाब दियाः यदि मैंने रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को ऐसा करते न देखा होता, तो ऐसा न करता।
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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अनस बिन मालिक (रज़ियल्लाहु अंहु) शाम आए। चूँकि वह एक प्रतिष्ठित एवं ज्ञानवान सहाबी थे, इसलिए लोग उनके स्वागत के लिए निकले। सहीह मुस्लिम की रिवायत में यही है कि "शाम आए", लेकिन उसका अर्थ हैः "जब वह शाम आए थे, तो वापसी के समय हम उनके स्वागत के लिए निकले।" यहाँ वापसी की बात का उल्लेख मालूम होने के कारण नहीं किया गया। क्योंकि जब वह शाम से आ रहे थे, तो वे उनसे मिलने के लिए बसरा से निकले थे। वर्णनकर्ता, (जो खुद भी स्वागत करने वालों में शामिल थे), कहते हैं कि उन्होंने अनस बिन मालिक को देखा कि वे गधे पर सवार होकर नमाज़ पढ़ रहे हैं और क़िब्ला उनकी दाईं जानिब है। अतः इस विषय में उनसे पूछ ही डाला। चुनांचे वह बोले कि उन्होंने नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को ऐसा करते देखा है। यदि उन्होंने आपको ऐसा करते न देखा होता, तो ऐसा न करते।