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उस अल्लाह की क़सम, जिसके हाथ में मेरी जान है, यह दुनिया फ़ना नहीं होगी, यहाँ तक कि यह स्थिति पैदा हो जाए कि आदमी क़ब्र…
उस अल्लाह की क़सम, जिसके हाथ में मेरी जान है, यह दुनिया फ़ना नहीं होगी, यहाँ तक कि यह स्थिति पैदा हो जाए कि आदमी क़ब्र के पास से गुज़रे, तो उसपर लोटने लगे और कहे कि काश मैं इस क़ब्र में दफ़न व्यक्ति के स्थान पर होता! हालाँकि उसके अंदर दीनदारी नहीं होगी, केवल मुसीबतों से तंग आ कर ऐसा करेगा।
अबू हुरैरा- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमायाः "उस अल्लाह की क़सम, जिसके हाथ में मेरी जान है, यह दुनिया फ़ना नहीं होगी, यहाँ तक कि यह स्थिति पैदा हो जाए कि आदमी क़ब्र के पास से गुज़रे, तो उस पर लोटने लगे और कहे कि काश मैं इस क़ब्र में दफ़न व्यक्ति के स्थान पर होता! हालाँकि उसके अंदर दीनदारी नहीं होगी, केवल मुसीबतों से तंग आ कर ऐसा करेगा।"
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]