तुम अपने लिए बददुआ न करो, अपनी संतान के लिए बददुआ न करो तथा अपनी धन-दौलत के लिए दुष्कामना न करो। कहीं ऐसा न हो कि तुम…

तुम अपने लिए बददुआ न करो, अपनी संतान के लिए बददुआ न करो तथा अपनी धन-दौलत के लिए दुष्कामना न करो। कहीं ऐसा न हो कि तुम अल्लाह की ओर से उस घड़ी को पा लो, जिसमें उससे कुछ माँगा जाय, तो वह तुम्हारी दुआ क़बूल कर ले।

जाबिर बिन अब्दुल्लाह- रज़ियल्लाहु अन्हुमा- से रिवायत है कि नबी- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमायाः "तुम अपने लिए बददुआ न करो, अपनी संतान के लिए बहदुआ न करो तथा अपनी धन-दौलत के लिए दुष्कामना न करो। कहीं ऐसा न हो कि तुम अल्लाह की ओर से उस घड़ी को पा लो, जिसमें उससे कुछ माँगा जाए, तो वह तुम्हारी दुआ क़बूल कर ले।"

[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

الشرح

इस हदीस में अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- स्वयं अपने, अपनी संतान तथा अपने धन पर बददुआ करने से मना कर रहे हैं। क्योंकि दुआ एक बहुत बड़ी चीज़ है और कभी-कभी अल्लाह उसे बंदों के हक़ में प्रभावी भी बना देता है। ऐसे में यदि वह ग्रहण हो जाए, तो उसका नुक़सान ख़ुद बददुआ करने वाले को ही, उसकी जान, माल एवं संतान की क्षति के रूप में उठाना पड़ेगा।

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दुआ के अहकाम