अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ियल्लाहु अंहुमा) अल्लाह तआला के इस फरमानः {فَلا تَجْعَلُوا لِلَّهِ أَنْدَادًا وَأَنْتُمْ تَعْلَمُونَ}…

अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ियल्लाहु अंहुमा) अल्लाह तआला के इस फरमानः {فَلا تَجْعَلُوا لِلَّهِ أَنْدَادًا وَأَنْتُمْ تَعْلَمُونَ} (अर्थात, तुम अल्लाह के साझी न ठहराओ, जबकि तुम सब कुछ जान रहे हो।) के बारे में कहते हैंः "यहाँ 'الأنداد' से अभिप्राय शिर्क है, जो रात के अंधेरे में काले चिकने पत्थर पर चींटी के चलने से भी अधिक छिपा होता है।"

अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ियल्लाहु अंहुमा) अल्लाह तआला के इस फरमानः {فَلا تَجْعَلُوا لِلَّهِ أَنْدَادًا وَأَنْتُمْ تَعْلَمُونَ} (अर्थात, तुम अल्लाह के साझी न ठहराओ, जबकि तुम सब कुछ जान रहे हो।) के बारे में कहते हैंः "यहाँ 'الأنداد' से अभिप्राय शिर्क है, जो रात के अंधेरे में काले चिकने पत्थर पर चींटी के चलने से भी अधिक छिपा होता है।" उदाहरण स्वरूप तुम कहोः "ऐ अमुक व्यक्ति, अल्लाह तथा तेरे जीवन की कसम", अथवा कहोः "मेरे जीवन की कसम", या फिर कहोः " यदि यह कुतिया नहीं होती, तो हमारे घर में चोर घुस आते", या "अगर घर में यह बत्तख न होता, तो चोर घुस आते", इसी तरह कोई किसी के बारे में कहेः "वही होगा जो अल्लाह और तुम चाहो", या कोई कहेः "अगर अल्लाह और अमुक व्यक्ति न होता"। यहाँ अमुक व्यक्ति को न लाओ। यह सारे के सारे अल्लाह के साथ शिर्क के उदाहरण हैं।

[सह़ीह़] [इसे इब्ने अबी ह़ातिम ने रिवायत किया है।]

الشرح

अल्लाह तआला का फ़रमान है : {فَلاَ تَجْعَلُواْ لِلّهِ أَندَاداً وَأَنتُمْ تَعْلَمُونَ} इस आयत में अल्लाह तआला ने लोगों को इस बात से मना किया है कि किसी को उसका समकक्ष या समरूपक बनाकर अल्लाह की उपासना में साझी ठहराएँ, जबकि वे जानते हैं कि केवल अल्लाह ही पैदा करने वाला और रोज़ी देने वाला है और उनके ठहराए हुए ये समकक्ष लाचार व बेबस हैं तथा उनके हाथ में कुछ नहीं है। अब्दुल्लाह बिन अब्बास -रज़ियल्लाहु अनहुमा- ने 'الأنداد' को साझी से परिभाषित किया है और साझी ठहराने के कुछ उदाहरण भी दिए हैं। हालाँकि इस शिर्क का पता लगाना रात के अंधेरे में काले एवं चिकने पत्थर पर चींटी के चलने का पता लगाने से भी मुश्किल काम है। फिर उसका उदाहरण देते हुए कहा : तुम अल्लाह के सिवा किसी की कसम खाओ। बल्कि इससे भी बड़ा पाप यह है कि तुम किसी को अल्लाह के बराबर ला खड़ा करो और कहो : अल्लाह की क़सम और मेरे जीवन की क़सम। या साधन पैदा करने वाले के बजाय साधन ही पर नज़र रखो और कहो : अगर इसका कुत्ता हमारी पहरेदारी न करता, तो चोर हमें चपत लगा जाते। या कोई कहे : अगर घर में बत्तख न होती, जो हमें किसी अपरिचित व्यक्ति के अंदर आने पर सावधान करती है, तो चोर घुस आते। शिर्क का एक उदाहरण यह भी है कि कोई किसी के बारे में कहे : वही होगा, जो अल्लाह चाहे और तुम चाहो। इसी तरह कोई कहे : अगर अल्लाह न होता और अमुक व्यक्ति न होता। यहाँ अमुक व्यक्ति को लाना उचित नहीं है। फिर ज़ोर देकर कहा कि यह सब छोटे शिर्क के उदाहरण हैं। लेकिन कहने वाले के दिल में यदि यह हो कि अमुक व्यक्ति, बत्तख या कुत्ता ही के द्वारा यह सब कुछ हुआ तथा इसमें अल्लाह का कोई अमल-दखल नहीं है, तो यह बड़ा शिर्क हो जाएगा।

التصنيفات

शिर्क (बहुदेववाद)