जब उहुद युद्ध का समय आ गया, तो मेरे पिता ने मुझे बुलाकर कहाः मुझे लगता है कि मैं नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के उन…

जब उहुद युद्ध का समय आ गया, तो मेरे पिता ने मुझे बुलाकर कहाः मुझे लगता है कि मैं नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के उन साथियों के साथ क़त्ल कर दिया जाऊँगा, जो शूरु में ही शहीद होंगे।

जाबिर बिन अब्दुल्लाह (रज़ियल्लाहु अंहुमा) कहते हैं कि जब उहुद युद्ध का समय आ गया, तो मेरे पिता ने मुझे बुलाकर कहाः मुझे लगता है कि मैं नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के उन साथियों के साथ क़त्ल कर दिया जाऊँगा, जो शूरु में ही शहीद होंगे। मैं अपने बाद अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के सिवा किसी ऐसे व्यक्ति को छोड़कर नहीं जा रहा हूँ, जो मुझे तुमसे अधिक प्रिय हो। देखो, मुझपर कुछ क़र्ज़ है, तुम उसे उतार देना तथा अपनी बहनों के साथ अच्छे व्यवहार की वसीयत को क़बूल करना। (जाबिर कहते हैं कि) हमने सुबह की, तो सबसे पहले वही शहीद हुए और मैंने उनके साथ एक और व्यक्ति को एक ही क़ब्र में दफ़न कर दिया। फिर मेरे दिल को इस बात पर संतुष्टि नहीं मिली कि मैं उन्हें किसी और के साथ रहने दूँ। अतः, छह महीने बाद मैंने उन्हें निकाला, तो देखा कि कान के सिवा उनका पूरा शरीर वैसा ही था, जैसा मैंने उन्हें दफ़न करते समय रखा था। फिर मैंने उन्हें अलग क़ब्र में दफ़न कर दिया।

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।]

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जिहाद