जिसने इस्लाम में कोई अच्छा तरीका जारी किया, उसे खुद अपनी नेकी तथा बाद में उसपर अमल करने वाले तमाम लोगों की नेकी…

जिसने इस्लाम में कोई अच्छा तरीका जारी किया, उसे खुद अपनी नेकी तथा बाद में उसपर अमल करने वाले तमाम लोगों की नेकी मिलेगी। हाँ, मगर उनकी नेकियाँ तनिक भी घटाई नहीं जाएँगी। और जिसने इस्लाम में कोई बुरा तरीका प्रचलित किया, उसपर उसका गुनाह होगा तथा बाद में उसपर अमल करने वाले तमाम लोगों का गुनाह होगा और उसके गुनाह कुछ भी घटाए नहीं जाएँगे।

जरीर बिन अब्दुल्लाह- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि हम पहले दिन की पहली पहर को अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास थे कि कुछ लोग आपके पास आए, जो नंगे शरीर थे। अपने ऊपर धारीदार चादरें या चोगे डाले हुए थे। तलवार लटकाए हुए थे। अधिकतर लोग मुज़र क़बीले से थे, बल्कि सभी मुज़र क़बीले से ही थे। उनकी भुखमरी देखकर अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के चेहरे का रंग बदल गया। अतः, आप अंदर गए, फिर बाहर आए। उसके बाद बिलाल- रज़ियल्लाहु अन्हु- को आदेश दिया तो उन्होंने अज़ान दी और इक़ामत कही। फिर आपने नमाज़ पढ़ाई, ख़ुतबा दिया और यह आयत पढ़ीः "يَا أَيُّهَا النَّاسُ اتَّقُوا رَبَّكُمُ الَّذِي خَلَقَكُمْ مِنْ نَفْسٍ وَاحِدَةٍ وَخَلَقَ مِنْهَا زَوْجَهَا وَبَثَّ مِنْهُمَا رِجَالاً كَثِيراً وَنِسَاءً وَاتَّقُوا اللَّهَ الَّذِي تَسَاءَلُونَ بِهِ وَالْأَرْحَامَ إِنَّ اللَّهَ كَانَ عَلَيْكُمْ رَقِيباً" (अर्थात, ऐ लोगो! अपने उस पालनहार से डरो, जिसने तुम्हें एक जान से पैदा किया और उससे उसका जोड़ा पैदा किया और दोनों से बहुत-से नर-नारी फैला दिए। तथा उस अल्लाह से डरो, जिसके द्वारा तुम एक-दूसरे से (अधिकार) माँगते हो। तथा रक्त-संबंधों को तोड़ने से डरो, निस्संदेह अल्लाह तुम्हारा निरीक्षक है।) फिर सूरा हश्र के अंत से यह आयत पढ़ीः "يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اتَّقُوا اللَّهَ وَلْتَنْظُرْ نَفْسٌ مَا قَدَّمَتْ لِغَدٍ وَاتَّقُوا اللَّهَ إِنَّ اللَّهَ خَبِيرٌ بِمَا تَعْمَلُونَ" (अर्थात, ऐ ईमान वालो! अल्लाह से डरो और प्रत्येक प्राणी को देखना चाहिए कि उसने कल के लिए क्या भेजा है। तथा अल्लाह से डरो, निश्चय ही अल्लाह तुम जो कुछ करते हो, उसे देख रहा है।) (फिर फ़रमायाः) हर आदमी को चाहिए कि अपने दीनार, दिरहम, कपड़ों, गेहूँ के साअ और ख़ुजूर का सदका करे (यहाँ तक कहा कि) यद्यपि खुजूर का एक टुकड़ा ही क्यों न हो। यह सुनकर एक अंसारी सहाबी एक थैली लेकर आया। करीब था कि उसका हाथ उसे उठाने से विवश हो जाए, बल्कि विवश हो ही चुका था। फिर लोग एक-दूसरे के बाद कुछ न कुछ लाते रहे, यहाँ तक कि मैंने खाद्य पदार्थों और कपड़ों के दो ढेर देखे। फिर क्या था, मैंने देखा कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का चेहरा सोने की तरह चमक रहा था। फिर आपने कहाः जिसने इस्लाम में कोई अच्छा तरीका जारी किया, उसे खुद अपनी नेकी तथा बाद में उसपर अमल करने वाले तमाम लोगों की नेकी मिलेगी। हाँ, मगर उनकी नेकियाँ तनिक भी घटाई नहीं जाएँगी। और जिसने इस्लाम में कोई बुरा तरीका प्रचलित किया, उसपर उसका गुनाह होगा तथा बाद में उसपर अमल करने वाले तमाम लोगों का गुनाह होगा और उनके गुनाह कुछ भी घटाए नहीं जाएँगे।

[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

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बिदअत