अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) मक्का विजय के वर्ष मक्का में दाखिल हुए तो आपके सिर पर लोहे की टोपी थी। जब…

अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) मक्का विजय के वर्ष मक्का में दाखिल हुए तो आपके सिर पर लोहे की टोपी थी। जब उसे उतारा तो एक व्यक्ति ने आपके पास आकर कहा कि ख़तल का बेटा काबा के पर्दों से चिमटा हुआ है। सो, आपने फ़रमायाः उसका वध कर दो।

अनस बिन मालिक- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने मक्का विजय के वर्ष मक्का में प्रवेश किया तो आपके सिर पर लोहे की टोपी थी। जब उसे उतारा तो एक व्यक्ति ने आपके पास आकर कहा कि ख़तल का बेटा काबे के पर्दों से चिमटा हुआ है। सो, आपने फ़रमायाः उसका वध कर दो।

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

الشرح

नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) और क़ुरैश के काफ़िरों के बीच समझौता था तथा आपने कुछ मुश्रिकों के रक्त को हलाल कर दिया था और उनको क़त्ल करने का आदेश दे दिया था। जब मक्का विजय हो गया, तो आप उसमें सावधानी के साथ दाख़िल हुए। आपके सर पर फौलादी टोपी थी। कुछ सहाबा ने ख़तल के बेटे को काबा के परदों से चिमटा हुआ पाया। उसने क़त्ल से बचने के लिए काबा की हुरमत की शरण ले रखी थी। क्योंकि उसे अपने कुकर्मों के बारे में पता था। सहाबा ने नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से संपर्क किए बिना उसे वध करने को मुनासिब न जाना। जब आपसे पूछा, तो फ़रमाया कि उसे क़त्ल कर दो। चुनांचे उसे हजर-ए-असवद और मक़ाम-ए-इबराहीम के बीच क़त्ल कर दिया गया।

التصنيفات

आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के द्वारा लड़े गए युद्ध एवं सैन्य कारर्वाइयाँ, जिहाद के अहकाम तथा मसायल