ऐ अल्लाह, हमारे जीवित तथा मृत, छोटे तथा बड़े, पुरुष तथा स्त्री और उपस्थित तथा अनुपस्थित सबको क्षमा कर दे। ऐ अल्लाह,…

ऐ अल्लाह, हमारे जीवित तथा मृत, छोटे तथा बड़े, पुरुष तथा स्त्री और उपस्थित तथा अनुपस्थित सबको क्षमा कर दे। ऐ अल्लाह, हममें से जिसे जीवित रखना हो, इसलाम पर जीवित रख और हममें से जिसे मारना हो, उसे ईमान की अवस्था में मौत दे।ऐ अल्लाह, हमें उसके प्रतिफल से वंचित न कर और हमें उसके बाद आज़माइश में न डाल।

अबू हुरैरा, अबू क़तादा और अबू इबराहीम अशहली अपने पिता (जो कि सहाबी थे) से रिवायत करते हैं कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने जनाज़े की नमाज़ पढ़ी और यह दुआ कीः "ऐ अल्लाह, हमारे जीवित तथा मृत, छोटे तथा बड़े, पुरुष तथा स्त्री और उपस्थित तथा अनुपस्थित सबको क्षमा कर दे। ऐ अल्लाह, हममें से जिसे जीवित रखना हो, इसलाम पर जीवित रख और हममें से जिसे मारना हो, उसे ईमान की अवस्था में मौत दे।ऐ अल्लाह, हमें उसके प्रतिफल से वंचित न कर और हमें उसके बाद आज़माइश में न डाल।"

[सह़ीह़] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है ।]

التصنيفات

जनाज़े की नमाज़ का तरीका