दो दुआएँ लौटाई नहीं जातीं या कम ही लौटाई जाती हैं; अज़ान के समय की दुआ और युद्ध के समय की दुआ, जब लोग एक-दूसरे से गुथ…

दो दुआएँ लौटाई नहीं जातीं या कम ही लौटाई जाती हैं; अज़ान के समय की दुआ और युद्ध के समय की दुआ, जब लोग एक-दूसरे से गुथ जाएँ।

सह्ल बिन साद (रज़ियल्लाहु अंहु) नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से रिवायत करते हुए कहते हैंः "दो दुआएँ लौटाई नहीं जातीं या कम ही लौटाई जाती हैं; अज़ान के समय की दुआ और युद्ध के समय की दुआ, जब लोग एक-दूसरे से गुथ जाएँ।"

[सह़ीह़] [इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है।]

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दुआ ग्रहण होने में सहायक चीज़ें तथा उसे ग्रहण न होने देने वाली वस्तुएँ