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मैंने नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को मग़रिब की नमाज़ में सूरा-ए-तूर पढ़ते सुना।
मैंने नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को मग़रिब की नमाज़ में सूरा-ए-तूर पढ़ते सुना।
जूबैर बिन मुतइम (रज़ियल्लाहु अंहु) कहते हैं कि मैंने नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को मग़रिब की नमाज़ में सूरा-ए-तूर पढ़ते सुना।
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- सामान्य रुप से फ़ज्र की नमाज़ में तिलावत लंबी करते थे और मग़रिब की नमाज़ में हल्की, जबकि इनके सिवा अन्य नमाज़ों में दरमियानी तिलावत करते थे। लेकिन कभी-कभी यह बताने के लिए ऐसा अनिवार्य नहीं है, इस आदत को छोड़ भी देते थे। जैसा कि इस हदीस में आया है कि आपने मग़रिब की नमाज़ में सूरा "वत-तूर" पढ़ी, जो तिवाल-ए-मुफस्सल की सूरतों में शामिल है।التصنيفات
नमाज़ का तरीक़ा