वह मोमिन जो लोगों से मेल-जोल रखता है तथा उनकी ओर से मिलने वाली यातनाओं पर सब्र करता है, उस मोमिन से अच्छा है, जो लोगों…

वह मोमिन जो लोगों से मेल-जोल रखता है तथा उनकी ओर से मिलने वाली यातनाओं पर सब्र करता है, उस मोमिन से अच्छा है, जो लोगों से मेल-जोल नहीं रखता तथा उनकी यातनाओं पर सब्र नहीं करता।

अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) से वर्णित है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायः “वह मोमिन जो लोगों से मेल-जोल रखता है तथा उनकी ओर से मिलने वाली यातनाओं पर सब्र करता है, उस मोमिन से अच्छा है, जो लोगों से मेल-जोल नहीं रखता तथा उनकी यातनाओं पर सब्र नहीं करता।”

[सह़ीह़] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है । - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]

التصنيفات

मुस्लिम समाज