जब तुममें से किसी को (वलीमे की दावत में) बुलाया जाए, तो वह दावत क़बूल करे। अगर रोज़ेदार हो, तो दुआ दे और अगर रोज़े से न…

जब तुममें से किसी को (वलीमे की दावत में) बुलाया जाए, तो वह दावत क़बूल करे। अगर रोज़ेदार हो, तो दुआ दे और अगर रोज़े से न हो, तो खाए।

अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अंहु) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "जब तुममें से किसी को (वलीमे की दावत में) बुलाया जाए, तो वह दावत क़बूल करे। अगर रोज़ेदार हो, तो दुआ दे और अगर रोज़े से न हो, तो खाए।"

[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

التصنيفات

ज़ियारत तथा प्रवेश की अनुमति लेने के आदाब