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शिब्ह-ए-अमद (वह क़त्ल, जिसे जानबूझ-कर किए गए क़त्ल के समान माना गया है) की दियत क़त्ल-ए-अमद (जान-बूझकर किए गए क़त्ल) की…
शिब्ह-ए-अमद (वह क़त्ल, जिसे जानबूझ-कर किए गए क़त्ल के समान माना गया है) की दियत क़त्ल-ए-अमद (जान-बूझकर किए गए क़त्ल) की तरह सख़्त है। लेकिन इसमें क़ातिल को क़त्ल नहीं किया जाएगा। उसकी सूरत यह है कि शैतान लोगों को इस तरह बहकाए कि बिना सोचे-समझे रक्तपात हो जाए, जबकि न आपसी द्वेष रहा हो और न हथियार का प्रयोग हुआ हो।
अब्दुल्लाह बिन अम्र -रज़ियल्लाहु अन्हुमा- से वर्णित है कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : “शिब्ह-ए-अमद (वह क़त्ल, जिसे जानबूझ-कर किए गए क़त्ल के समान माना गया है) की दियत क़त्ल-ए-अमद (जान-बूझकर किए गए क़त्ल) की तरह सख़्त है। लेकिन इसमें क़ातिल को क़त्ल नहीं किया जाएगा। उसकी सूरत यह है कि शैतान लोगों को इस तरह बहकाए कि बिना सोचे-समझे रक्तपात हो जाए, जबकि न आपसी द्वेष रहा हो और न हथियार का प्रयोग हुआ हो।”
[ह़सन] [इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]
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दियत