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जब तक चुस्ती बाक़ी रहे, नमाज़ पढ़ो और चुस्ती खत्म हो जाए, तो सो जाओ।
जब तक चुस्ती बाक़ी रहे, नमाज़ पढ़ो और चुस्ती खत्म हो जाए, तो सो जाओ।
अनस बिन मालिक (रज़ियल्लाहु अन्हु) फरमाते हैं कि एक बार नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) मस्जिद में दाख़िल हुए, तो देखा कि दो स्तंभ के बीच एक रस्सी लटक रही है। आपने फरमाया : "यह रस्सी कैसी है?" लोगों ने कहा कि यह रस्सी ज़ैनब (रज़ियल्लाहु अन्हा) के द्वारा लटकाई हुई है। जब वह नमाज़ में खड़ी-खड़ी थक जाती हैं, तो इससे लटक जाती हैं । नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया : "इसे खोल दो। जब तक चुस्ती बाक़ी रहे, नमाज़ पढ़ो और चुस्ती खत्म हो जाए, तो सो जाओ।"
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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रात की नमाज़