क्या तुम जानते हो कि झूठ तथा मिथ्यारोपन क्या है? यह लोगों के बीच लगाई-बुझाई की बातें करते फिरना है।

क्या तुम जानते हो कि झूठ तथा मिथ्यारोपन क्या है? यह लोगों के बीच लगाई-बुझाई की बातें करते फिरना है।

अबदुल्लाह बिन मसऊद (रज़ियल्लाहु अंहु) से वर्णित है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः क्या तुम जानते हो कि झूठ तथा मिथ्यारोपन क्या है? यह लोगों के बीच लगाई-बुझाई की बातें करते फिरना है।

[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

الشرح

अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- अपनी उम्मत को लोगों के बीच चुगली करते फिरने और बिगाड़ पैदा करने के लिए एक की बात दूसरे तक पहुँचाने से सावधान करना चाहते थे। अतः, अपनी बात को प्रश्न से शुरू किया, ताकि दिल में अच्छी तरह बैठ जाए और लोग अधिक ध्यानपूर्वक सुनें। यही कारण है कि सहाबा से पूछा कि «العَضْهُ» अर्थात् झूठ और दोषारोपन क्या है? वैसे, कुछ लोगों ने उसका अर्थ जादू भी बताया है। फिर प्रश्न का उत्तर खुद ही देते हुए कहा कि «العَضْهُ» से अभिप्राय है लोगों के बीच लगाई-बुझाई करना, क्योंकि अनुभव यह कहता है कि इससे बिगाड़, लोगों को हानि पहुँचाने, प्रेम रखने वालों के दिलों को बाँटने, रिश्तेदारों के बीच दूरी पैदा करने तथा दिलों को मैला करने का वही काम होता है, जो जादू से होता है।

التصنيفات

गुनाहों की मज़म्मत