ऐ अल्लाह! मैं आग (जहन्नम) के फ़ितने, आग (जहन्नम) की यातना और मालदारी तथा निर्धनता की बुराई से तेरी शरण माँगता हूँ।

ऐ अल्लाह! मैं आग (जहन्नम) के फ़ितने, आग (जहन्नम) की यातना और मालदारी तथा निर्धनता की बुराई से तेरी शरण माँगता हूँ।

आइशा (रज़ियल्लाहु अंहा) का वर्णन है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) इन शब्दों के द्वारा दुआ करते थेः «اللهم إني أعوذ بك من فتنة النار، وعذاب النار، ومن شر الغنى والفقر» अर्थात, ऐ अल्लाह! मैं आग (जहन्नम) के फ़ितने, आग (जहन्नम) की यातना और मालदारी तथा निर्धनता की बुराई से तेरी शरण माँगता हूँ।

[सह़ीह़] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है । - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है।]

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मासूर दुआएँ