जो किसी महरम रिश्तेदार (दास) का मालिक हो, तो वह (दास उसके आज़ाद किए बिना) आज़ाद है।

जो किसी महरम रिश्तेदार (दास) का मालिक हो, तो वह (दास उसके आज़ाद किए बिना) आज़ाद है।

समुरा -रज़ियल्लाहु अन्हु- से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : “जो किसी महरम रिश्तेदार (दास) का मालिक हो, तो वह (दास उसके आज़ाद किए बिना) आज़ाद है।”

[सह़ीह़] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है । - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]

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दास मुक्त करना