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दो अलग-अलग धर्मों के लोग एक-दूसरे के वारिस नहीं बन सकते।
दो अलग-अलग धर्मों के लोग एक-दूसरे के वारिस नहीं बन सकते।
अब्दुल्लाह बिन अम्र -रज़ियल्लाहु अन्हुमा- से वर्णित है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया :“दो अलग-अलग धर्मों के लोग एक-दूसरे के वारिस नहीं बन सकते।”
[ह़सन] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है । - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]
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मीरास से वंचित करने वाली वस्तुएँ