إعدادات العرض
जब कोई बंदा किसी वस्तु पर धिक्कार करता है, तो धिक्कार आकाश की ओर चल देता है, लेकिन उसके लिए आकाश के द्वार बंद कर दिए…
जब कोई बंदा किसी वस्तु पर धिक्कार करता है, तो धिक्कार आकाश की ओर चल देता है, लेकिन उसके लिए आकाश के द्वार बंद कर दिए जाते हैं। अतः, वह धरती की ओर उतरने लगता है, लेकिन धरती के द्वार भी उसके लिए बंद कर दिए जाते हैं। फिर वह दाएँ-बाएँ जाने का प्रयास करता है, लेकिन जब कहीं कोई जगह नहीं मिलती, तो उसकी ओर लौटता है, जिसपर धिक्कार किया गया है। यदि वह उसके योग्य है, तो ठीक। अन्यथा, धिक्कार करने वाले की ओर लौट जाता है।
अबु दरदा -अल्लाह उनसे प्रसन्न हो- से मरफ़ूअन वर्णित है : "जब कोई बंदा किसी वस्तु पर धिक्कार करता है, तो धिक्कार आकाश की ओर चल देता है, लेकिन उसके लिए आकाश के द्वार बंद कर दिए जाते हैं। अतः, वह धरती की ओर उतरने लगता है, लेकिन धरती के द्वार भी उसके लिए बंद कर दिए जाते हैं। फिर वह दाएँ-बाएँ जाने का प्रयास करता है, लेकिन जब कहीं कोई जगह नहीं मिलती, तो उसकी ओर लौटता है, जिसपर धिक्कार किया गया है। यदि वह उसके योग्य है, तो ठीक। अन्यथा, धिक्कार करने वाले की ओर लौट जाता है।"
[सह़ीह़] [इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है।]
الترجمة
العربية বাংলা Bosanski English Español فارسی Français Bahasa Indonesia Русский Tagalog Türkçe اردو 中文 Hausa Kurdî Português සිංහලالشرح
जब बंदा किसी चीज़ पर अपनी ज़बान से लानत करता है, तो उसकी यह लानत आकाश की ओर चढ़ती है। लेकिन आकाश के द्वार उसके लिए बंद होते हैं। अतः वह धरती की ओर लौटने लगती है। मगर धरती के द्वार भी उसके लिए बंद हो जाते हैं और वह उसमें प्रवेश नहीं कर पाती। फिर वह दाएँ-बाएँ जाती है। यदि उसे कोई मार्ग या स्थान नहीं मिलता, तो उस चीज़ की ओर लौट जाती है, जिसपर लानत की गई है। अब यदि वह चीज़ लानत की अधिकारी है, तो उसके पास रह जाती है और अगर नहीं है, तो लानत करने वाले की ओर लौट जाती है और उसी से चिपक जाती है।التصنيفات
बात करने तथा चुप रहने के आदाब