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जो व्यक्ति सोने या चाँदी के बर्तन में पीता है वह अपने पेट में जहन्नम की आग भरता है।
जो व्यक्ति सोने या चाँदी के बर्तन में पीता है वह अपने पेट में जहन्नम की आग भरता है।
उम्मे सलमा -अल्लाह उनसे प्रसन्न हो- कहती हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : “जो व्यक्ति पीता है” और एक रिवायत में है : “जो खाता या पीता है” सोने अथवा चाँदी के बर्तन में, वह अपने पेट में जहन्नम की आग भरता है।”
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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इस हदीस में उस व्यक्ति को बड़ी कठोर चेतावनी दी गई है, जो सोना एवं चाँदी से बने हुए, उनकी पालिश किए हुए या उनसे अलंकृत बर्तनों का प्रयोग करता हो। इसमें बताया गया है कि जो इस गुनाह में संलिप्त होगा, उसके पेट में जहन्नम की यातना उतरने की भयानक तथा विकट आवाज़ सुनाई देगी। क्योंकि सोना एवं चाँदी के बर्तन में खाना एवं पीना काफ़िरों की मुशाबहत एख़्तियार करना, अभिमान प्रकट करना और निर्धन लोगों का दिल तोड़ना है। साथ ही यह कि इस्लाम मुसलमान को नैतिक पतन एवं भोग विलास से सुरक्षित रखता है। सोना एवं चाँदी के बर्तन के प्रयोग से मनाही का एक कारण यह भी है कि यह दोनों चीज़ें निकट समय तक मुद्रा के रूप में प्रयोग में रहती आई हैं। अतः बर्तन के रूप में इनका प्रयोग इनके व्यापारिक चलन पर कुठाराघात और मानवीय आवश्यकताओं के मूल्यों को व्यर्थ करना है। जबकि इससे कोई अधिक महत्व वाला हित भी पूरा नहीं होता। इस हदीस में आई हुई खाने एवं पीने के बर्तन के रूप में इनके प्रयोग की मनाही, किसी भी लाभ के लिए इनके प्रयोग की मनाही को सम्मिलित है। इस मनाही से वही प्रयोग बाहर होगा, जिसकी अनुमति शरीयत ने दी है। जैसे स्त्री का आभूषण आदि।التصنيفات
बर्तन एवं पात्र