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बुख़ार को गाली मत दो, क्योंकि वह आदम की संतान के पापों को उसी प्रकार ख़त्म कर देता है, जैसे लोहार की धौंकनी लोहे के…
बुख़ार को गाली मत दो, क्योंकि वह आदम की संतान के पापों को उसी प्रकार ख़त्म कर देता है, जैसे लोहार की धौंकनी लोहे के ज़ंग को ख़त्म कर देती है
जाबिर (रज़ियल्लाहु अनहु) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम), उम्मे साइब अथवा उम्मे मुसैयिब (रज़ियल्लाहु अनहा) के पास गए और फ़रमाया: ऐ उम्मे साइब अथवा उम्मे मुसैयिब! क्या बात है, काँप रही हो? उन्होंने कहा: बुख़ार है, अल्लाह उसमें बरकत न दे। आपने फ़रमाया: बुख़ार को गाली मत दो, क्योंकि वह आदम की संतान के पापों को उसी प्रकार ख़त्म कर देता है, जैसे लोहार की धौंकनी लोहे के ज़ंग को ख़त्म कर देती है।
[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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बात करने तथा चुप रहने के आदाब