إعدادات العرض
1- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के सामने यह बात रखी गई कि कभी-कभी आदमी को ऐसा लगता है कि वह नमाज़ में कुछ महसूस कर रहा है, (ऐसे में वह क्या करे?) तो फ़रमायाः "वह नमाज़ से न फिरे, जब तक आवाज़ न सुने या दुर्गंध महसूस न करे।"
2- हम नमाज़ में बात कर लिया करते थे। आदमी अपने साथी से, जो उसके बगल में नमाज़ पढ़ रहा होता, बात कर लेता था। यहाँ तक कि क़ुरआन की यह आयतः "وقوموا لله قانتين" अवतरित हुई, तो हमें चुप रहने का आदेश दिया गया तथा बात करने से मना कर दिया गया।