क़ुरआन उस समय तक पढ़ो, जब तक तुम्हारे दिल अनुकूल रहें। जब प्रतिकूलता आने लगे, तो पढ़ना छोड़ दो।

क़ुरआन उस समय तक पढ़ो, जब तक तुम्हारे दिल अनुकूल रहें। जब प्रतिकूलता आने लगे, तो पढ़ना छोड़ दो।

जुंदुब बिन अब्दुल्लाह (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया : “क़ुरआन उस समय तक पढ़ो, जब तक तुम्हारे दिल अनुकूल रहें। जब प्रतिकूलता आने लगे, तो पढ़ना छोड़ दो।”

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

التصنيفات

क़ुरआन पढ़ने तथा उससे जुड़े लोगों के आदाब