जब अल्लाह किसी बंदे को किसी स्थान में मृत्यु देना चाहता है, तो वहाँ उसकी कोई ज़रूरत रख देता है।

जब अल्लाह किसी बंदे को किसी स्थान में मृत्यु देना चाहता है, तो वहाँ उसकी कोई ज़रूरत रख देता है।

अबू अज़्ज़ा हुज़ली -रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमायाः "जब अल्लाह किसी बंदे को किसी स्थान में मृत्यु देना चाहता है, तो वहाँ उसकी कोई ज़रूरत रख देता है।"

[सह़ीह़] [इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है।]

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क़ज़ा एवं क़दर (नियति एवं भाग्य) के मसायल