जो सोया रह जाए और वित्र न पढ़ सके, अथवा भूल जाए, तो उसे चाहिए कि जब याद आए तब पढ़ ले।

जो सोया रह जाए और वित्र न पढ़ सके, अथवा भूल जाए, तो उसे चाहिए कि जब याद आए तब पढ़ ले।

अबू सईद ख़ुदरी -रज़ियल्लाहु अन्हु- से मरफूअन रिवायत है : “जो सोया रह जाए और वित्र न पढ़ सके, अथवा भूल जाए, तो उसे चाहिए कि जब याद आए तब पढ़ ले।”

[सह़ीह़] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है ।]

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रात की नमाज़