मैं तेरे धर्म, तेरी अमानत और तेरे अंतिम कर्मों को अल्लाह के हवाले करता हूँ।

मैं तेरे धर्म, तेरी अमानत और तेरे अंतिम कर्मों को अल्लाह के हवाले करता हूँ।

अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) यात्रा पर निकलने वाले व्यक्ति से कहते थेः मेरे पास आओ, ताकि मैं तुम्हें उसी तरह विदा करूँ, जैसे अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) हमें विदा करते थे। आप फ़रमाते थेः "मैं तेरे धर्म, तेरी अमानत और तेरे अंतिम कर्मों को अल्लाह के हवाले करता हूँ।" तथा अब्दुल्लाह बिन यज़ीद ख़तमी (रज़ियल्लाहु अंहु) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जब सेना को विदा करते, तो फ़रमातेः "मैं तुम्हारे धर्म, तुम्हारी अमानत और तुम्हारे अंतिम कर्मों को अल्लाह के हवाले करता हूँ।"

[सह़ीह़] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है । - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे नसाई ने रिवायत किया है। - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]

التصنيفات

यात्रा के आदाब तथा अहकाम, युद्ध तथा लड़ाइयाँ